Climate Of Rajasthan Gk Notes in Hindi अगर आप राजस्थान रीट या 1st/2nd ग्रेड शिक्षक, LDC  की तैयारी कर रहे है तो आज हम आपके लिए Rajasthan Geography Class Notes ( Part 2 ) | राजस्थान की जलवायु से संबंधित सम्पूर्ण नोट्स लेकर आये है जो आपको आगे पेपर में काम जरूर आएंगे रोजाना चाहे वह राजस्थान का कोई भी एग्जाम हो आप राजस्थान की जलवायु के सभी टॉपिक शार्ट रूप में यहाँ से तैयार कर सकते है 

Rajasthan Geography Class Notes ( Part 2 ) | राजस्थान की जलवायु हम आपके लिए ऐसे ही महत्वपूर्ण नोट्स लेकर आएंगे जिससे आप प्रैक्टिस कर सकते है इसमें आपको राजस्थान जीके की तैयारी के लिए राजस्थान की जलवायु की सम्पूर्ण जानकारी एवं महत्वपूर्ण प्रश्न उपलब्ध करवाए गए है जो आपको राजस्थान के सभी पेपर में काम आएंगे 

Rajasthan Geography Class Notes ( Part 2 ) | राजस्थान की जलवायु

1. शुष्क जलवायु प्रदेश-
–  यहाँ वनस्पति बहुत कम है। केवल कंटीली झाड़ियाँ पाई जाती हैं। वर्षा का औसत 10-20 सेमी. है।
– पश्चिमी राजस्थान वाष्पीकरण दर अधिक तापमान ग्रीष्म ऋतु में तापमान 45°C-50°C और शीत ऋतु में तापमान 0°C-8°C रहता है।
– विस्तार क्षेत्र – शुष्क रेतीला मैदान – बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, दक्षिणी श्रीगंगानगर, पश्चिमी जोधपुर।

विशेषता-
– मरुद्भिद वनस्पति (जीरोफाइट्स) पाई जाती है।
– ग्रीष्म ऋतु में लू व धूल भरी आँधी चलती हैं।
– दैनिक तथा वार्षिक तापान्तर उच्च होता है।
– प्रतिनिधि नगर – जैसलमेर

2. अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश
– इस प्रदेश में वर्षा का औसत – 20 से 40 सेमी. रहता है।
ग्रीष्म ऋतु में तापमान 36°-42°C और शीत ऋतु में तापमान 10°-17°C रहता है।
विस्तार क्षेत्र – अरावली के पश्चिम में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर, झुंझुनूँ , चूरू, नागौर, जोधपुर, पाली, जालोर जिले।
प्रतिनिधि नगर – जोधपुर

विशेषता-
– स्टेपी तुल्य वनस्पति पाई जाती है।

3. उप आर्द्र जलवायु प्रदेश-
– यहाँ पर्वतीय व पतझड़ वनस्पति पाई जाती है। वर्षा का औसत 40 से 60 सेमी. रहता है। ग्रीष्म ऋतु में तापमान – 28°-34°C शीत ऋतु में तापमान – 12°-18°C रहता है।
विस्तार क्षेत्र – अरावली के समान्तर वाले जिले – जयपुर, दौसा, अलवर, टोंक, अजमेर, भीलवाड़ा, सिरोही।
प्रतिनिधि नगर – जयपुर

4. आर्द्र जलवायु प्रदेश-
–  यहाँ पतझड़ वनस्पति पाई जाती हैं। वर्षा का औसत 60 से 80 सेमी. रहता है।
ग्रीष्म ऋतु में तापमान – 30°-34°C शीत ऋतु में तापमान – 14°-17°C रहता है।
विस्तार क्षेत्र – भरतपुर, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, बूँदी, राजसमंद, चित्तौड़गढ़।
प्रतिनिधि नगर – सवाई माधोपुर

5. अति आर्द्र प्रदेश-
–  यहाँ मानसूनी सवाना वनस्पति पाई जाती है। वर्षा का औसत – 80-100 सेमी. या अधिक रहता है। ग्रीष्म ऋतु में तापमान 30°-40°C और शीत ऋतु में 12°-18°C तापमान रहता है।
–  यह सबसे छोटा जलवायु प्रदेश है।
विस्तार क्षेत्र – झालावाड़, कोटा, बाराँ, प्रतापगढ़, बाँसवाड़ा, डूँगरपुर, उदयपुर, माउंट आबू।
प्रतिनिधि नगर – झालावाड़

राजस्थान में ऋतुएँ-


1. ग्रीष्म ऋतु-
 21 मार्च के बाद सूर्य की स्थिति कर्क रेखा की ओर बनती है।
– इसी दिन से सूर्य का उत्तरायण होना प्रारंभ होने से उत्तरी-गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है।
– उत्तरी-गोलार्द्ध का सबसे गर्म दिन 21 जून को माना जाता है क्योंकि इसी दिन सूर्य कर्क रेखा पर एकदम लम्बवत् चमकता है।
–  वार्षिक तापक्रम 14°C से 17°C रहता है और दोपहर के समय तापक्रम लगभग 36°C से 49°C तक पहुँच जाता है, श्रीगंगानगर में उच्चतम तापक्रम 50°C तक पहुँच जाता है।
– जोधपुर, बीकानेर और बाड़मेर में 49°C, जयपुर और कोटा में 40°C और झालावाड़ में 47°C तक तापक्रम पहुँच जाता है।
–  राजस्थान के पश्चिम क्षेत्र में रात्रि का तापमान अचानक गिरने से दैनिक तापान्तर बहुत अधिक होता है। रात्रि का तापमान 14°C से 15°C तक पहुँच जाता है तथा अरावली के उत्तरी और पश्चिमी भागों में तापक्रम निरंतर बढ़ता जाता है। ग्रीष्मकालीन दिन का तापमान 48°C रहता है।
–  ग्रीष्मऋतु में राजस्थान में सूर्य की तीव्र किरणों, अत्यधिक तापमान, शुष्क व गर्म हवाओं व वाष्पीकरण की अधिकता के कारण आर्द्रता में कमी हो जाती है।
– ग्रीष्म ऋतु में सर्वाधिक गर्म जिला चूरू एवं स्थान फलोदी (जोधपुर) रहता है।

हवाएँ

–  राजस्थान में हवाएँ दक्षिण-पश्चिम से पश्चिम की ओर चलती हैं।
–  राजस्थान में जून के महीने में हवाएँ सबसे तेज व नवम्बर के महीने में सबसे हल्की चलती हैं।
–  राज्य में वायु की अधिकतम गति लगभग 140 किलोमीटर/घण्टा है।
–  ग्रीष्म ऋतु में गर्म, तेज हवाएँ और आँधी पश्चिमी राजस्थान की विशेषता है।
–  राजस्थान में ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली गर्म एवं शुष्क हवाएँ ‘लू’ कहलाती हैं। सर्वाधिक ‘लू’ बाड़मेर जिले में चलती है।

आँधी –
–  राजस्थान में सर्वाधिक आँधी मई-जून के महीने में चलती है।
–  राज्य में सर्वाधिक आँधी वाला जिला – श्रीगंगानगर (27 दिन)।
– राज्य में दूसरा सर्वाधिक आँधी वाला जिला – हनुमानगढ़ (23 दिन)।
–  राज्य में न्यूनतम आँधी वाला जिला – झालावाड़ (3 दिन)।
– राज्य में दूसरा न्यूनतम आंधियों वाला जिला – कोटा (5 दिन)।
– राज्य के पूर्वी एवं दक्षिणी-पूर्वी भागों में जून-जुलाई के महीनों में आने वाले तूफान को ‘वज्र तूफान’ कहते हैं। राज्य में सर्वाधिक वज्र तूफान झालावाड़ और जयपुर जिलों में आते हैं।
–  राजस्थान में छोटे क्षेत्र में उत्पन्न वायु भंवर (चक्रवात) को स्थानीय क्षेत्र में ‘भभूल्या’ कहते हैं।

2. वर्षा ऋतु-
–  भारतीय मानसून की उत्पत्ति हिन्द महासागर के दक्षिण-पश्चिम में होती है इसे ही दक्षिणी-पश्चिमी मानसून कहा जाता है।
– वर्षा का आगमन राज्य में मध्य जून से प्रारंभ होता है तथा सामान्य वर्षा का दौर सितंबर तक चलता है।
– मानसून अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ – मौसम / ऋतु / हवाओं की दिशा में परिवर्तन होता है।
(i) अरब सागरीय मानसून शाखा
(ii) बंगाल की खाड़ी की मानसून शाखा

(i) अरब सागरीय मानसून शाखा-
– अरब सागरीय मानसूनी शाखा राजस्थान में सर्वप्रथम बाँसवाड़ा जिले में प्रवेश करती है। (बाँसवाड़ा को राजस्थान का मानसून प्रवेश द्वार कहा जाता है।)
–  इस शाखा से राजस्थान के बाँसवाड़ा, डूँगरपुर, उदयपुर तथा सिरोही में 10% वर्षा होती है।
– अरब सागरीय मानसून का सर्वाधिक ठहराव तथा सर्वाधिक सक्रियता सिरोही जिले में होती है।
– अरब सागरीय मानसून की राजस्थान में दिशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व रहती है।
– अरब सागरीय मानसून से पश्चिमी राजस्थान में वर्षा नहीं होती है। इसका प्रमुख कारण अरावली पर्वतमाला का अरब सागरीय मानसून के समांतर स्थित होना अर्थात् अरावली की दिक् स्थिति।

(ii) बंगाल की खाड़ी मानसून शाखा-
–  दक्षिण-पश्चिम मानसून की बंगाल की खाड़ी को स्थानीय भाषा में ‘पुरवईया’ कहा जाता है।
– बंगाल की खाड़ी शाखा राजस्थान के झालावाड़ जिले से प्रवेश करती है तथा राजस्थान के अधिकांश जिलों में लगभग 90% मानसूनी वर्षा करती है।
– इस मानसून की राजस्थान में दिशा दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम है।
– इस शाखा से थार के मरुस्थल में वर्षा कम होती है। इसका प्रमुख कारण अरावली का वृष्टि छाया प्रदेश का होना है।

राजस्थान की जलवायु विशेषता
–  राजस्थान में वर्षा का वार्षिक औसत 57.51 सेमी. है।
– वर्षा की मात्रा दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर कम होती जाती है।
– राज्य में सर्वाधिक आर्द्रता वाला महीना – अगस्त
–  राज्य में सबसे कम आर्द्रता वाला महीना – अप्रैल
– राज्य में सर्वाधिक आर्द्रता वाला जिला – झालावाड़
– राज्य में सबसे कम आर्द्रता वाला जिला – जैसलमेर
– राज्य में सर्वाधिक आर्द्रता वाला स्थान – माउण्ट आबू (सिरोही)
– राज्य में सबसे कम आर्द्रता वाला स्थान – फलोदी (जोधपुर)

3. शीत ऋतु-

–  राज्य में तापमान लगभग समान रहता है। औसत अधिकतम तापमान पश्चिमी राजस्थान में 36.1°C तथा पूर्वी राजस्थान में 35°C तथा न्यूनतम औसत तापमान 21.1°C से 17.7°C मिलता है।
  23 सितंबर के बाद सूर्य दक्षिण गोलार्द्ध की ओर स्थित रहता है जिसे सूर्य का ‘दक्षिणायन’ होना कहते हैं।
–  सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध में तिरछी पड़नी शुरू हो जाती हैं, जिससे उत्तरी गोलार्द्ध में धीरे-धीरे शीत ऋतु का आगमन हो जाता है।
–  22 दिसंबर के दिन सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध में सर्वाधिक तिरछी पड़ती हैं।
–  राजस्थान का सबसे ठण्डा माह जनवरी है। सबसे ठण्डा जिला चूरू व सबसे ठण्डा स्थान माउण्ट आबू है। दूसरा सबसे ठण्डा स्थान – डबोक (उदयपुर)।
– राजस्थान में शीत ऋतु में उत्तर-पूर्वी मानसून से या भूमध्यसागरीय मानसून या पश्चिमी विक्षोभों से होने वाली वर्षा को ‘मावठ’ कहते हैं। मावठ वर्षा से कुल वार्षिक वर्षा की 10% होती है। यह रबी की फसलों के लिए उपयोगी हैं, इसे ‘गोल्डन ड्रॉप्स या ‘सुनहरी बूँदे’ कहते हैं।
–  राज्य में मानसून पूर्व की वर्षा को ‘दोंगड़ा’ कहते हैं।
–  राज्य में भारतीय मौसम विभाग की ‘वैधशाला जयपुर’ में है।
– राजस्थान में सम्भावित वाष्पन-वाष्पोत्सर्जन वार्षिक दर सबसे अधिक जैसलमेर जिले में हैं।
–  मानसून प्रत्यावर्तन का काल -: अक्टूबर – दिसम्बर के प्रारम्भ तक।

( जारी रखने के लिए पार्ट – 3 पढ़े )

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